浯溪(明·顾璘)释义,解释
古诗文 | 浯溪(明·顾璘) |
释义 | 浯溪(明·顾璘) 押灰韵 系舟浯溪下,策杖登崇台。 嵚崟石壁古,手拨苍云开。 娲皇彩烟灭,遗此青瑶瑰。 元公性奇崛,首发雕锼灾。 灵光落台斗,照耀衡湘隈。 白日映寒野,旷望江流回。 山僧指陈迹,故宅久已灰。 污尊依然好,饮者安在哉。 感叹惜形役,长歌下崔嵬。 |
古诗文 | 浯溪(明·顾璘) |
释义 | 浯溪(明·顾璘) 押灰韵 系舟浯溪下,策杖登崇台。 嵚崟石壁古,手拨苍云开。 娲皇彩烟灭,遗此青瑶瑰。 元公性奇崛,首发雕锼灾。 灵光落台斗,照耀衡湘隈。 白日映寒野,旷望江流回。 山僧指陈迹,故宅久已灰。 污尊依然好,饮者安在哉。 感叹惜形役,长歌下崔嵬。 |